मवई:- मवई विकासखंड के ग्राम पंचायत मेटा में शनिवार को विश्व आदिवासी दिवस का भव्य आयोजन किया गया। पूरे गांव में सुबह से ही उत्साह और उल्लास का माहौल रहा। ग्रामीणों ने पारंपरिक वेशभूषा धारण की, महिलाएं रंग-बिरंगी साड़ियों में, पुरुष धोती-कुर्ता और सिर पर पारंपरिक साफा बांधकर सुसज्जित हुए। ढोल-नगाड़ों और मांदर की थाप पर नृत्य करते हुए उन्होंने अपनी सांस्कृतिक धरोहर का अद्भुत प्रदर्शन किया, जिससे पूरा ग्राम उत्सव स्थल में बदल गया।
कार्यक्रम की शुरुआत ग्राम के प्रमुख और वरिष्ठ जनों द्वारा पारंपरिक पूजा-अर्चना से हुई। पूजा के दौरान आदिवासी देवी-देवताओं का आह्वान किया गया और प्रकृति की आराधना की गई। ग्राम के बुजुर्गों ने युवाओं को आदिवासी संस्कृति, रीति-रिवाजों और परंपराओं के महत्व के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि हमारी संस्कृति जंगल, जल और जमीन से गहराई से जुड़ी हुई है, और इसके संरक्षण के बिना हमारे अस्तित्व की कल्पना अधूरी है।
पूजा-अर्चना के बाद मंचीय कार्यक्रमों की शुरुआत हुई। स्थानीय कलाकारों और सांस्कृतिक दलों ने पारंपरिक नृत्य, गीत और लोक प्रस्तुतियों से दर्शकों का मन मोह लिया। महिलाओं के समूह नृत्य और युवाओं के जोशीले मांदर वादन ने उपस्थित लोगों को झूमने पर मजबूर कर दिया। बच्चे भी रंग-बिरंगे पारंपरिक परिधानों में सांस्कृतिक झांकियों के साथ जुलूस में शामिल हुए।
कार्यक्रम में आमंत्रित वक्ताओं ने आदिवासी समाज की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, पारंपरिक ज्ञान, औषधीय पौधों, वन संपदा और सामुदायिक जीवन पद्धति पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि आदिवासी समाज का जीवन प्रकृति के संरक्षण और संतुलन पर आधारित है, जिसे आज की पीढ़ी को समझना और अपनाना चाहिए।
इस आयोजन में ग्राम पंचायत के सभी वर्गों — बुजुर्ग, महिलाएं, युवा और बच्चे — ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। दिनभर ढोल-नगाड़ों की थाप, गीतों की गूंज और नृत्यों की लय से ग्राम मेटा में उत्सव का माहौल बना रहा। शाम को सामूहिक भोज के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ, जिसमें सभी ग्रामीणों ने मिल-बैठकर भोजन किया और भाईचारे का संदेश दिया।