नई दिल्ली, 12 अप्रैल:– आज सम्पूर्ण भारत में हनुमान जयंती का पर्व अत्यंत श्रद्धा, आस्था और उल्लास के साथ मनाया जा रहा है। चैत्र माह की पूर्णिमा को हर वर्ष यह पर्व मनाया जाता है, जिसे हनुमान जी के जन्मदिवस के रूप में मनाने की परंपरा है। हनुमान जी को कलियुग का जाग्रत देवता और सबसे प्रभावशाली शक्तियों में से एक माना जाता है।
भोर होते ही मंदिरों में घंटियों की ध्वनि गूंजने लगी। भक्तजन हनुमान चालीसा, सुंदरकांड, रामायण पाठ तथा विशेष आरती में सम्मिलित होकर अपने आराध्य को प्रसन्न करने में लगे । जगह-जगह भंडारे । श्रद्धालुओं ने हनुमान जी को चोला चढ़ाकर सिंदूर, चमेली का तेल, और फूलों की माला अर्पित की।
पौराणिक कथा: शिव का अवतार हैं हनुमान जी
हनुमान जी के जन्म से जुड़ी पौराणिक मान्यता अत्यंत रोचक है। यह माना जाता है कि हनुमान जी कोई साधारण वानर नहीं, बल्कि स्वयं भगवान शिव का अवतार हैं। कथा के अनुसार जब भगवान विष्णु ने त्रेतायुग में राम के रूप में अवतार लिया, तब रावण अत्यंत बलशाली और दिव्य शक्तियों से सम्पन्न हो चुका था। रावण, जो शिव का परम भक्त था, यह जानता था कि उसकी मुक्ति केवल ईश्वर के हाथों ही संभव है। उसने शिवजी से प्रार्थना की कि उसे ऐसा वरदान दिया जाए जिससे वह राम के हाथों मोक्ष प्राप्त कर सके।
शिवजी ने रावण की इस भावना को समझते हुए लीला रचने का निश्चय किया। इसी लीला के अंतर्गत उन्होंने स्वयं हनुमान के रूप में जन्म लिया। वानरराज केसरी और अंजना माता के पुत्र के रूप में प्रकट हुए हनुमान जी, भगवान राम की सेवा और रावण के वध में सहायक बने। यह विश्वास किया जाता है कि रावण को न केवल मृत्यु मिली, बल्कि भगवान राम के हाथों मोक्ष की प्राप्ति भी हुई — और यह सब शिवजी के अवतार हनुमान के कारण ही संभव हुआ।
कलियुग में सबसे प्रभावशाली देवता
पुराणों के अनुसार, हनुमान जी को कलियुग में विशेष स्थान प्राप्त है। यह युग जहाँ अधर्म और अनाचार का बोलबाला रहता है, वहाँ हनुमान जी ही एकमात्र ऐसे देवता माने जाते हैं जो साक्षात रूप में अपने भक्तों की पुकार सुनते हैं। उनकी भक्ति सरल है, और जो कोई सच्चे मन से उन्हें स्मरण करता है, उसके सभी भय दूर होते हैं।
हनुमान जी की अमरता का वरदान भी उन्हें विशेष बनाता है। भगवान राम ने उन्हें यह आशीर्वाद दिया था कि जब तक यह पृथ्वी और धर्म का अस्तित्व रहेगा, तब तक वे जीवित रहकर रामकथा का प्रचार करेंगे। इसलिए उन्हें चिरंजीवी माना जाता है।
देशभर में कार्यक्रमों की धूम
इस पावन अवसर पर देश के कोने-कोने में विशेष कार्यक्रमों का आयोजन किया गया है। अयोध्या, वाराणसी, उज्जैन, नासिक, चित्रकूट, और हनुमानगढ़ जैसे तीर्थस्थलों पर लाखों श्रद्धालु पहुंचे। कई जगहों पर रथ यात्राएं निकाली गईं जिनमें झांकियों के माध्यम से हनुमान जी की लीलाओं का जीवंत चित्रण किया गया।
राजधानी दिल्ली के प्राचीन कनॉट प्लेस स्थित हनुमान मंदिर में भीड़ उमड़ती रही।
हनुमान जयंती केवल एक पर्व नहीं, बल्कि भक्ति और निष्ठा का उत्सव है। यह हमें सिखाता है कि सेवा, समर्पण, और विश्वास से ही ईश्वर की प्राप्ति संभव है।