दुर्ग:-बिलासपुर स्थित राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की विशेष अदालत ने शनिवार को चर्चित मानव तस्करी और मतांतरण के मामले में गिरफ्तार दो कैथोलिक ननों सिस्टर प्रीति मेरी और सिस्टर वंदना फ्रांसिस, तथा पास्टर सुखमन मंडावी को जमानत दे दी। तीनों को 25 जुलाई को दुर्ग रेलवे स्टेशन से जीआरपी पुलिस ने गिरफ्तार किया था। गिरफ्तारी के बाद यह मामला सिर्फ कानूनी नहीं रहा, बल्कि राजनीतिक और सांप्रदायिक रूप से भी संवेदनशील बन गया था। केरल से लेकर दिल्ली तक नेताओं का जेल आना-जाना लगा रहा।
दरअसल जमानत आदेश के बाद शनिवार को दुर्ग सेंट्रल जेल में माहौल उत्सव जैसा रहा। केरल से आए CPM, कांग्रेस और यहां तक कि भाजपा के भी कुछ स्थानीय प्रतिनिधि जेल पहुंचे। ननों के परिजन भी वहां मौजूद रहे। मिठाई बांटकर और एक-दूसरे को गले लगाकर सभी ने जश्न मनाया। पूरा जेल परिसर सच की जीत के नारों से गूंज उठा।छत्तीसगढ़ कांग्रेस की सह प्रभारी जरिता लेतफलांग ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि ये नन बेकसूर थीं, भाजपा और बजरंग दल के दबाव में उन पर झूठी एफआईआर दर्ज की गई थी। उन्होंने कहा कि यह न्यायपालिका में विश्वास की जीत है और कांग्रेस की भी नैतिक जीत है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा धार्मिक भेदभाव को बढ़ावा दे रही है और यह मामला भी उसी का एक उदाहरण था।करीब शाम 4 से 5 बजे के बीच तीनों आरोपियों को जेल से रिहा कर दिया गया। उनके समर्थकों और परिवारजनों ने इस मौके पर भावुकता के साथ संतोष व्यक्त किया। यह मामला आने वाले दिनों में भी राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बना रहेगा, खासकर धार्मिक स्वतंत्रता और राजनीतिक दखलंदाजी के संदर्भ में।