कोरबा (छत्तीसगढ़):-शहर के हृदय स्थल पर करीब 17 करोड़ रुपये की लागत से तैयार देवी अहिल्याबाई होलकर कन्वेंशन सेंटर की फॉल्स सीलिंग 12 जुलाई को अचानक गिर गई। गनीमत यह रही कि हादसे के समय भवन में कोई मौजूद नहीं था, अन्यथा एक बड़ी जनहानि हो सकती थी।
यह हादसा ना सिर्फ निर्माण कार्य की गुणवत्ता पर सवाल खड़े करता है, बल्कि भ्रष्टाचार और लापरवाही की आशंका को भी बल देता है।
📉 मात्र तीन महीने में उजागर हुई गुणवत्ता की पोल
- भवन का निर्माण 23 अप्रैल 2024 को पूर्ण हुआ था
- और 8 जुलाई 2025 को मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय द्वारा इसका लोकार्पण किया गया
- 12 जुलाई को फॉल्स सीलिंग गिरने से यह स्पष्ट हुआ कि निर्माण में गंभीर तकनीकी खामियां रही हैं
⚙️ दोषी अधिकारियों पर तत्काल कार्रवाई
इस मामले की जांच के बाद छत्तीसगढ़ गृह निर्माण मण्डल के अपर आयुक्त ने रिपोर्ट सौंपी, जिसमें स्पष्ट रूप से गुणवत्ता में कमी और तकनीकी खामी पाई गई।
इसके आधार पर दो इंजीनियरों को निलंबित किया गया:
- कांशी प्रकाश पैकरा – सहायक अभियंता
- आर. के. दंदेलिया – कार्यपालन अभियंता
इन दोनों को छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण तथा अपील) नियम 1966 के नियम 9(1)(क) के तहत निलंबित किया गया है। निलंबन अवधि में उनका मुख्यालय संभाग जगदलपुर निर्धारित किया गया है।
🧾 DMF फंड से बना था भवन
यह कन्वेंशन सेंटर जिला खनिज न्यास (DMF) फंड से तैयार किया गया था, जिससे निर्माण में पारदर्शिता और गुणवत्ता की अपेक्षा अधिक थी। लेकिन एक महीने के भीतर इस तरह की घटना ने ठेकेदार की लापरवाही और अधिकारियों की मिलीभगत की ओर इशारा किया है।
🗣️ जनता और जनप्रतिनिधियों में नाराज़गी
हादसे के बाद आमजन में भारी नाराजगी और अविश्वास का माहौल है। सामाजिक संगठनों और जनप्रतिनिधियों ने इसकी सीबीआई या उच्च स्तरीय जांच की मांग की है।
📌 यह घटना न सिर्फ करोड़ों की जनता की पूंजी के दुरुपयोग को दर्शाती है, बल्कि भविष्य में सार्वजनिक निर्माण कार्यों की गुणवत्ता पर भी सतर्कता बरतने की आवश्यकता को रेखांकित करती है।