पंडरिया:- जीवन रक्षक 108 संजीवनी एम्बुलेंस सेवा एक बार फिर मानवता और तत्परता की मिसाल बनी है। बुधवार को पंडरिया से कवर्धा रेफर की गई एक गर्भवती महिला ने एम्बुलेंस में ही एक स्वस्थ कन्या को जन्म दिया। ईएमटी विनोद जायसवाल और पायलट विजय चंद्रवंशी की सूझबूझ और त्वरित निर्णय से यह प्रसव सफलतापूर्वक संपन्न हुआ।
राम्हेपुर की गर्भवती महिला को कवर्धा किया गया था रेफर
प्राप्त जानकारी के अनुसार, पंडरिया ब्लॉक के ग्राम राम्हेपुर निवासी संपृता दिवाकर (उम्र 24 वर्ष) को बुधवार को अचानक प्रसव पीड़ा शुरू हुई। परिजन तत्काल उन्हें सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, पंडरिया लेकर पहुंचे। जांच के बाद वहां के चिकित्सकों ने महिला की स्थिति को गंभीर मानते हुए उन्हें जिला अस्पताल कवर्धा रेफर कर दिया।
संजीवनी टीम ने तत्परता से निभाई जिम्मेदारी
जैसे ही 108 संजीवनी टीम को रेफरल की सूचना मिली, पायलट विजय चंद्रवंशी और ईएमटी विनोद जायसवाल तुरंत मौके पर पहुंचे और गर्भवती महिला को एम्बुलेंस में शिफ्ट कर कवर्धा की ओर रवाना हो गए। लेकिन रास्ते में ग्राम हरिनछपरा के समीप पहुंचते ही महिला की प्रसव पीड़ा अत्यधिक बढ़ गई।
डॉक्टर से ली सलाह, एम्बुलेंस बना प्रसव कक्ष
स्थिति की गंभीरता को भांपते हुए ईएमटी विनोद जायसवाल ने तुरंत ईआरसीपी (इमरजेंसी रिस्पांस कमांड सेंटर) के माध्यम से डॉ. वजस से संपर्क किया और पूरी परिस्थिति से अवगत कराया। डॉक्टर की सलाह और परिजनों की सहमति मिलने के बाद, एम्बुलेंस में ही प्रसव की प्रक्रिया प्रारंभ की गई। पायलट विजय ने वाहन को सुरक्षित सड़क किनारे खड़ा किया और ईएमटी का भरपूर सहयोग किया।
बच्ची के न रोने पर भी नहीं घबराए कर्मी
थोड़ी ही देर में महिला ने एक स्वस्थ कन्या को जन्म दिया। हालांकि जन्म के बाद बच्ची रो नहीं रही थी, जिससे स्थिति चिंताजनक हो गई। लेकिन ईएमटी विनोद ने तुरंत सक्शन प्रक्रिया अपनाई और नवजात को चिकित्सा प्रदान की। इसके बाद जैसे ही बच्ची की किलकारी गूंजी, पूरे माहौल में राहत की सांस ली गई।
जिला अस्पताल में भर्ती, मां-बेटी दोनों स्वस्थ
प्रसव के बाद मां और नवजात दोनों को कवर्धा जिला अस्पताल पहुंचाया गया, जहां चिकित्सकों ने दोनों को पूरी तरह स्वस्थ बताया।
परिजनों ने जताया आभार, समाज में बनी मिसाल
संपृता के परिजनों ने संजीवनी 108 टीम के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हुए कहा कि यदि समय पर यह सेवा और सूझबूझ न मिलती, तो कोई अनहोनी हो सकती थी।
यह घटना एक बार फिर सिद्ध करती है कि 108 संजीवनी एम्बुलेंस सेवा न केवल एक परिवहन सेवा है, बल्कि यह आपातकालीन चिकित्सा सहायता में भी अग्रणी भूमिका निभा रही है।