बिलासपुर:-छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने उन संस्थानों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है, जो बिना किसी मान्यता के आर्य समाज के नाम का उपयोग कर अवैध रूप से विवाह संपन्न करा रहे हैं। छत्तीसगढ़ प्रांतीय आर्य प्रतिनिधि सभा की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने संबंधित संस्थानों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।
आर्य समाज के नाम पर हो रही अनियमितताओं पर आपत्ति
याचिका में कहा गया कि रजिस्ट्रार, फर्म और सोसायटी ने छत्तीसगढ़ सोसायटी रजिस्ट्रीकरण अधिनियम, 1973 का उल्लंघन करते हुए कई संस्थाओं का पंजीकरण किया है। ये संस्थाएं आर्य समाज के नाम का उपयोग कर अवैध रूप से विवाह कराती हैं और इससे आर्थिक लाभ कमाती हैं।
आर्य प्रतिनिधि सभा के अनुसार, इन संस्थानों में न तो आर्य समाज के नियमों का पालन किया जाता है, न ही धार्मिक रीति-रिवाजों का निर्वहन होता है। हवन, सत्यसंध जैसे कार्यक्रम नहीं होते और न ही गुरुकुल से प्रशिक्षित पुरोहित इन विवाहों का संचालन करते हैं।
हाईकोर्ट ने नोटिस जारी कर मांगा जवाब
इस मामले को गंभीर मानते हुए हाईकोर्ट ने संबंधित पक्षों को नोटिस जारी किया है और उनसे जवाब मांगा है। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि बिना किसी मान्यता के आर्य समाज का नाम उपयोग कर विवाह कराना न केवल गलत है, बल्कि यह समाज को भ्रमित करने वाला भी है।
अब सभी संबंधित संस्थानों को अपनी स्थिति स्पष्ट करनी होगी और बताना होगा कि वे किस आधार पर आर्य समाज के नाम का उपयोग कर रहे हैं। अदालत की यह कार्रवाई समाज में चल रही अनियमितताओं पर रोक लगाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
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