गरियाबंद:-छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले से एक चौंकाने वाली और गंभीर मामला सामने आया है, जहां एक परिवार अपनी पुश्तैनी जमीन को वापस पाने के लिए दो वर्षों से सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहा है। आरोप है कि जमीन कब्जा करने वाले दबंगों से मुकाबला करने के लिए पीड़ित ने ₹1.5 लाख से ज्यादा की रिश्वत भी दी, लेकिन अब तक न्याय नहीं मिला। निराश होकर पीड़ित परिवार ने 14 जुलाई से कलेक्टोरेट के सामने अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठने की घोषणा की है। इतना ही नहीं, यदि फिर भी सुनवाई नहीं हुई, तो सामूहिक आत्मदाह करने की चेतावनी भी दी गई है।
🧑🌾 कौन है पीड़ित?
यह मामला अमलीपदर तहसील के ग्राम खरीपथरा निवासी 48 वर्षीय मुरहा नागेश से जुड़ा है। उन्होंने कलेक्टर और एसपी को ज्ञापन सौंपते हुए बताया कि उनकी पुश्तैनी 7 एकड़ जमीन पर दबंगों ने कब्जा कर लिया है। जमीन वापस पाने के लिए उन्होंने राजस्व अधिकारियों और बंदोबस्त विभाग में कई बार गुहार लगाई, लेकिन सुनवाई नहीं हुई।
💸 रिश्वत भी दी, फिर भी काम अटका
पीड़ित मुरहा नागेश ने दावा किया कि बंदोबस्त सुधार के नाम पर 1.5 लाख रुपए से अधिक की रिश्वत दी गई, लेकिन बावजूद इसके दो साल बीत जाने के बाद भी उन्हें न्याय नहीं मिला। अब वे कार्यालयों के चक्कर काटकर थक चुके हैं और पूरी तरह मानसिक, आर्थिक और सामाजिक रूप से टूट गए हैं।
⚠️ चेतावनी: भूख हड़ताल और आत्मदाह
अपने ज्ञापन में मुरहा नागेश ने साफ कहा है कि यदि 14 जुलाई से पहले जमीन संबंधित कार्रवाई शुरू नहीं हुई, तो वे परिवार सहित अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठेंगे। इसके बाद भी यदि सरकार और प्रशासन ने ध्यान नहीं दिया तो वे सामूहिक आत्मदाह करने को मजबूर होंगे।
📍 प्रशासन की चुप्पी
इस गंभीर मामले में अब तक जिला प्रशासन की कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया नहीं आई है। लेकिन चूंकि यह मामला न्यायिक और मानवाधिकारों से जुड़ा हुआ है, इसलिए उम्मीद की जा रही है कि प्रशासन तत्काल संज्ञान लेकर उचित कार्रवाई करेगा।
यह मामला छत्तीसगढ़ में ग्रामीणों की जमीन संबंधित समस्याओं और भ्रष्टाचार पर एक बड़ा सवाल खड़ा करता है। अगर समय रहते इसे हल नहीं किया गया, तो यह एक बड़ा आंदोलन और प्रशासन के लिए चुनौती बन सकता है।