दिन हो या रात… अब गांवों में अंधेरा ही अंधेरा है।
गर्मी में पसीना, रात में मच्छर और न मोबाइल चार्ज होता है, न पंखा चलता है।
घंटों बिजली कटने से आम लोग परेशान हैं… लेकिन जिम्मेदार अफसरों को फर्क नहीं पड़ता।
बोडला, कबीरधाम:-समाज सेवक और कांग्रेस नेता तुकाराम चंद्रवंशी बीते दिन पूर्व अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर एक वीडियो पोस्ट करते हैं बोडला ब्लॉक के साथ गांव की विद्युत कटौती को लेकर, बिजली कटौती की मार झेल रहे बोडला ब्लॉक के ग्रामीणों का सब्र तब टूट गया जब उन्होंने देखा कि रात में भीषण गर्मी और अंधेरे के बीच जिम्मेदार अधिकारी आराम से शराब के नशे में लीन हैं। यह मामला उस वक्त सुर्खियों में आया जब समाजसेवी और कांग्रेस नेता तुकाराम चंद्रवंशी ने मिमिनिया सहित आसपास के सात गांवों की लगातार बिजली कटौती को लेकर विद्युत विभाग के बोडला सब स्टेशन में अधिकारियों से सवाल-जवाब किए।
पांच घंटे की बिजली कटौती से उबला गुस्सा
ग्राम मिमिनिया सहित आसपास के सात गांवों में बीते दिन लगभग पांच घंटे तक बिजली बंद रही। गर्मी के मौसम में इस तरह की कटौती ने आम जनता, किसानों और विद्यार्थियों को बेहद परेशान कर दिया।
बिजली समस्या की शिकायतें जब लगातार अनसुनी की जाती रहीं, तब कांग्रेस नेता तुकाराम चंद्रवंशी ने गांव वालों के साथ मिलकर रात 12 बजे विद्युत विभाग के बोडला सब स्टेशन पहुंचकर हकीकत को जानने का प्रयास किया।
ऑफिसर नशे में, जवाब गोलमोल
वहां मौजूद एक अधिकारी नशे की हालत में मिला, जिसे देख तुकाराम चंद्रवंशी भड़क उठे और उन्होंने मौके पर वीडियो रिकॉर्डिंग भी की। इंस्टाग्राम पर पोस्ट किए गए वीडियो में तुकाराम अधिकारी से बार-बार सवाल पूछते हैं कि –
“सर, आपने शराब पी रखी है। गांव वालों को कोई सूचना नहीं दी गई कि बिजली कब तक बंद रहेगी। खेतों की लाइनें क्यों बंद कर दी गईं?”
फीडर खराब या जवाबदेही से बचाव?
अधिकारी की सफाई थी कि,
“फीडर बोर्ड खराब हो गया है, जिसके कारण बिजली आपूर्ति बाधित है।”
इस पर चंद्रवंशी ने कड़ा सवाल दागते हुए कहा –
“तो गांव में मुनियादी क्यों नहीं करवाई गई? आप इतने वर्षों से यहां पदस्थ हैं, आप क्षेत्र की भलीभांति जानकारी रखते हैं, फिर भी एक नए आए जेई पर जिम्मेदारी डालना कहां तक उचित है?”
‘आप नशे में हैं साहब…’, चुप रह गया अधिकारी
स्थिति तब और शर्मनाक हो गई जब तुकाराम चंद्रवंशी ने सीधे कहा –
“आप नशे में हैं। आपके स्टाफ को इलाज की ज़रूरत है। आप जनता की नहीं, सिर्फ खुद की परवाह करते हैं।”
इन गंभीर आरोपों पर अधिकारी कोई स्पष्ट जवाब नहीं दे सके और चुप्पी साध ली।
ग्रामीणों की पीड़ा – खेत सूखे, बच्चे बेहाल
बिजली कटौती के कारण:
खेतों में पानी नहीं पहुंच पाया
पंखे और कूलर बंद होने से बुजुर्ग और बच्चे बेहाल
मोबाइल चार्ज तक नहीं हो पा रहे
कोई पूर्व सूचना नहीं दी गई
प्रशासनिक जवाबदेही पर उठे सवाल
यह मामला प्रशासनिक लापरवाही और जवाबदेही की पोल खोलता है। एक ओर सरकार 24 घंटे बिजली देने का दावा करती है, दूसरी ओर अधिकारी शराब में लिप्त होकर जनता की अनदेखी कर रहे हैं। सवाल ये है कि क्या इस अधिकारी पर कोई कार्रवाई होगी?
क्या विभाग इस तरह के मामलों को गंभीरता से लेगा,
या जनता यूं ही अंधेरे में जीने को मजबूर रहेगी?