बस्तर (छत्तीसगढ़):-विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा इस वर्ष 24 जुलाई 2024 से शुरू होकर 7 अक्टूबर 2024 तक चलेगा। यह पर्व न केवल छत्तीसगढ़, बल्कि देश और विदेश के श्रद्धालुओं, शोधकर्ताओं और पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र होता है। आदिवासी परंपराओं, देवी दंतेश्वरी की भक्ति और रियासत काल की विरासत से जुड़ा यह उत्सव 75 दिनों तक चलने वाला विश्व का सबसे लंबा त्योहार माना जाता है।
📜 शुभारंभ: पाट जात्रा से होगी शुरुआत
- 24 जुलाई को बस्तर दशहरा की शुभ शुरुआत ‘पाट जात्रा’ से होगी।
- इस दिन जंगल से लाई गई एक पवित्र लकड़ी को दंतेश्वरी मंदिर परिसर में विधिपूर्वक पूजा जाता है।
- इसे ‘टुरलू खोटला’ कहा जाता है, जो रथ निर्माण के लिए औजारों की आधारशिला बनती है।
🛕 इतिहास से जुड़ी मान्यता:
- बस्तर दशहरा की परंपरा राजा पुरुषोत्तम देव के समय से शुरू मानी जाती है, जब वे जगन्नाथ पुरी से ‘रथपति’ की उपाधि लेकर लौटे थे।
- उन्होंने देवी दंतेश्वरी को केंद्र में रखकर इस अनूठे उत्सव की नींव रखी, जो सत्ता, श्रद्धा और संस्कृति का प्रतीक बन गया।
🛻 रथ निर्माण और यात्रा:
- पाट जात्रा के बाद रथ निर्माण की प्रक्रिया आरंभ होती है।
- रथ के लिए चुनी गई लकड़ियों को विशेष रीति-रिवाजों से जंगल से लाया जाता है।
- यह रथ बाद में दशहरा पर्व के दौरान देवी दंतेश्वरी की रथ यात्रा के लिए उपयोग में लाया जाता है, जो बस्तर की आत्मा मानी जाती है।
🌍 अंतरराष्ट्रीय पहचान:
- यह पर्व हिंसा या रावण वध से नहीं, बल्कि आदिवासी परंपराओं और देवी की उपासना पर आधारित है।
- देश-विदेश से पर्यटक, रिसर्चर और डॉक्युमेंट्री निर्माता इस महापर्व को देखने हर साल बस्तर पहुंचते हैं।
📅 मुख्य तिथियाँ (2024):
- 24 जुलाई: पाट जात्रा (शुभारंभ)
- अगस्त-सितंबर: रथ निर्माण, अग्नि अनुष्ठान, देव परिक्रमा, मावली परघाव
- 7 अक्टूबर: दशहरा समापन (रथ यात्रा और विसर्जन)
🔔 विशेष बातें:
- 75 दिन चलने वाला अद्वितीय पर्व
- आदिवासी संस्कृति का जीवंत उदाहरण
- बिना राम-रावण कथा के दशहरा
- दंतेश्वरी देवी के भक्तों की आस्था और भव्यता का संगम