कबीरधाम। सावन का पावन महीना भगवान शिव की आराधना और रुद्राभिषेक का विशेष काल होता है। हर भक्त इस महीने की प्रतीक्षा करता है, विशेष रूप से वे जिन्होंने अपना जीवन तपस्या और साधना में समर्पित कर दिया हो।
ऐसा ही एक उदाहरण सामने आया है कबीरधाम से, जहां बीते 9 वर्षों से गहन तपस्या में लीन एक शिवभक्त इस बार पहली बार रुद्राभिषेक करने नहीं जा सके। श्रद्धालु बाबा जी, जो हर साल सावन में विशेष पूजा-अर्चना करते रहे हैं, इस बार किसी कारणवश बीच सड़क में ही रुक जाने को मजबूर हो गए। उनका यह दुःख भावुक कर देने वाला है — “का सावन में कोई कोई समझ सके…”
उनकी वेदना बताती है कि भक्ति सिर्फ मंदिर और अनुष्ठानों तक सीमित नहीं, वह भावनाओं में बसती है। ऐसे समय में वे बस एक ही पुकार करते हैं —
“हर हर महादेव! जय माता की! जय श्री राधे!”
यह घटना हम सभी को यह संदेश देती है कि भक्ति में मार्ग चाहे कठिन हो, श्रद्धा अडिग रहनी चाहिए।