कवर्धा (सहसपुर लोहारा):-बिरखा राजगढ़: प्रकृति की गोद में बसा चमत्कारी मंदिर लोहरा से मात्र 5 किमी की दूरी पर स्थित एक अद्भुत धार्मिक स्थल बिरखा राजगढ़, मैकल पर्वत श्रृंखला के हृदय में बसा एक प्राचीन और दिव्य स्थल, आज न केवल आस्था का केंद्र बना हुआ है, बल्कि यह अपनी रहस्यमयी प्राकृतिक विशेषताओं के कारण भी चर्चा का विषय बना हुआ है।
इस मंदिर का निर्माण लोहरा के प्रसिद्ध राजा खड़क सिंह द्वारा कराया गया था। चारों ओर से घने जंगलों से घिरा यह मंदिर अपने मनोहारी सौंदर्य और शांति के लिए प्रसिद्ध है। यहां की शुद्ध और पवित्र वातावरण श्रद्धालुओं को अध्यात्मिक शांति प्रदान करता है।
मंदिर के समीप स्थित एक प्राकृतिक कुंड इस स्थान की सबसे अनोखी विशेषता है। यह कुंड हर मौसम में लबालब भरा रहता है – चाहे चिलचिलाती गर्मी हो या ठिठुरती सर्दी। कुंड का जल स्तर कभी भी नीचे नहीं जाता, जो लोगों के लिए एक रहस्य और चमत्कार से कम नहीं है।
मंदिर से मात्र 10 मीटर की दूरी पर भगवान शिव, मां पार्वती और श्री गणेश की दिव्य मूर्तियाँ स्थापित हैं। उनके नीचे शिव की सवारी नंदी महाराज की विशाल मूर्ति भी विराजमान है। विशेष बात यह है कि नंदी की मूर्ति के मुख से मां गंगा की जलधारा बहती रहती है, जिसे देखकर ऐसा प्रतीत होता है मानो स्वयं प्रकृति पूजा-अर्चना में लीन हो।
जहां देश के कई तीर्थ स्थलों पर गर्मियों में जल स्रोत सूख जाते हैं, वहीं बिरखा राजगढ़ का यह पवित्र कुंड सालभर अविरल जल प्रवाह से भरा रहता है। यह स्थल किसी कुदरती करिश्मे से कम नहीं, जो श्रद्धालुओं के मन में आस्था और प्रकृति के प्रति श्रद्धा को और गहरा करता है।
बिरखा राजगढ़ न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह स्थल पर्यावरणीय संतुलन और प्राकृतिक रहस्यों का एक उत्तम उदाहरण भी प्रस्तुत करता है। आने वाले समय में यह स्थान पर्यटन और शोध का एक प्रमुख केंद्र बन सकता है।