कवर्धा, 4 अप्रैल 2025 – हर साल की तरह इस बार भी कवर्धा जिला मुख्यालय में मां चंडी मां परमेश्वरी मंदिर से खप्पर निकलेगा, जो एक अद्वितीय और पुरानी परंपरा का हिस्सा है। यह परंपरा लगभग डेढ़ सौ सालों से चली आ रही है और हर वर्ष श्रद्धालु इस दिन का बेसब्री से इंतजार करते हैं।
खप्पर परंपरा के तहत पांडा, जो कि स्थानीय पुजारी होते हैं, खप्पर में अग्नि प्रज्वलित कर, 121 वेतलाओ के मंत्रों का उच्चारण करते हैं और देवी मां को जागृत करते हैं। इस प्रक्रिया के दौरान पांडा एक हाथ में तलवार और दूसरे हाथ में खप्पर लेकर नगर भ्रमण के लिए निकलते हैं। इस परंपरा का उद्देश्य केवल धार्मिक नहीं, बल्कि स्वास्थ्य और सुरक्षा से भी जुड़ा हुआ है।
नगर भ्रमण के साथ-साथ पांडा पूरे शहर को ‘बंधन’ में बांधते हैं, जो एक तरह से सुरक्षा का प्रतीक होता है। यह बंधन, शहर में किसी भी प्रकार की बीमारी, अशांति या नकारात्मक ऊर्जा के प्रवेश को रोकने का कार्य करता है। इसे एक प्रकार से नगर की शुद्धि के रूप में देखा जाता है।
कवर्धा के इस विशेष आयोजन में बड़ी संख्या में श्रद्धालु एकत्र होते हैं और यह परंपरा पूरी तरह से समाज की धार्मिक एकता और विश्वास को प्रकट करती है। खप्पर परंपरा के दौरान नगरभर में धार्मिक उल्लास का माहौल बना रहता है और सभी लोग एकजुट होकर इस शुभ अवसर का आनंद लेते हैं।
वेतलाओं के मंत्रों के उच्चारण के साथ और खप्पर के साथ पांडा की यात्रा, कवर्धा के धार्मिक और सांस्कृतिक जीवन का अभिन्न हिस्सा बन चुकी है। यह परंपरा न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह स्थानिक संस्कृति, एकता और समाज के सामूहिक विश्वास को भी दर्शाती है।
कवर्धा शहर के लोगों के लिए यह आयोजन न सिर्फ एक धार्मिक उत्सव है, बल्कि एक ऐतिहासिक धरोहर भी बन चुका है, जिसे आने वाली पीढ़ियां भी बड़े गर्व और श्रद्धा के साथ मनाती रहेंगी।