कवर्धा :- जिले में अवैध रूप से संचालित क्रेसर प्लांटों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है, लेकिन खनिज विभाग इस पर कोई ठोस कार्रवाई करता नहीं दिख रहा। प्रशासन की अनदेखी और मिलीभगत के चलते अवैध क्रेसर प्लांटों का संचालन धड़ल्ले से जारी है। इन अवैध प्लांटों से शासन को करोड़ों रुपये के राजस्व की हानि हो रही है, वहीं पर्यावरण और स्थानीय निवासियों को भी भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है।
प्रभावित ग्रामीणों का विरोध जारी
अवैध खनन और क्रेसर प्लांटों के खिलाफ स्थानीय ग्रामीणों द्वारा समय-समय पर विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है। ग्रामीणों ने जिला मुख्यालय कवर्धा में कई बार धरना-प्रदर्शन और घेराव कर इस मुद्दे को उठाया है। बावजूद इसके, प्रशासन और खनिज विभाग की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
खनिज विभाग के आंकड़े बनाम जमीनी हकीकत
खनिज विभाग के रिकॉर्ड के अनुसार, जिले में केवल 27 लाइसेंसधारी क्रेसर प्लांट ही संचालित हैं। लेकिन स्थानीय सूत्रों के अनुसार, वर्तमान में जिले में 50 से अधिक अवैध क्रेसर प्लांट भी सक्रिय हैं। यह स्पष्ट करता है कि खनिज विभाग की अनदेखी के चलते अवैध प्लांटों का संचालन बेरोकटोक जारी है।
पर्यावरण और राजस्व को हो रहा नुकसान
अवैध क्रेसर प्लांटों के संचालन से न केवल सरकारी राजस्व को भारी क्षति हो रही है, बल्कि इससे पर्यावरणीय संतुलन भी बिगड़ रहा है। धूल, ध्वनि और जल प्रदूषण के कारण स्थानीय लोगों को गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। वहीं, अवैध खनन के चलते क्षेत्र में जलस्तर में गिरावट भी दर्ज की गई है।
प्रशासन की चुप्पी पर सवाल
यह सवाल उठता है कि आखिर प्रशासन और खनिज विभाग इस मुद्दे पर मौन क्यों है? क्या यह विभागीय लापरवाही का मामला है या फिर अवैध क्रेसर संचालकों से मिलीभगत का नतीजा?
ग्रामीणों और जागरूक नागरिकों ने प्रशासन से जल्द से जल्द इन अवैध क्रेसर प्लांटों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की मांग की है।