बालोद / कवर्धा:– छत्तीसगढ़ की माटी की तपस्विनी पुत्री भुवनेश्वरी ठाकुर, जिन्होंने मात्र 32 वर्ष की उम्र से तपस्या का मार्ग अपनाया, आज पूरे प्रदेश के लिए श्रद्धा और प्रेरणा का प्रतीक बन चुकी हैं। 75 वर्ष की आयु में उनकी मां सोनकुंवर बनारस (वाराणसी) में उनका निधन हुआ, जहां उनकी माता की बरसी पूजा **पवित्र मणिकर्णिका घाट पर बड़े भक्ति भाव से संपन्न हुई।
माता भुनेश्वरी:- 919589018010

सोनकुंवर माता, बालोद जिले की रहने वाली हैं और उन्होंने अपने जीवन का अधिकांश हिस्सा जंगल, पहाड़ों और धर्म नगरी कवर्धा में ईश्वर साधना और तपस्या में व्यतीत किया। उनके साथ उनकी लाडली बेटी भक्ति ठाकुर** और दामाद संतोष कुमार भी पिछले कई वर्षों से भक्ति एवं तपस्या के इस मार्ग पर उनके सहयोगी रहे हैं।
माता भुनेश्वरी ने अपने जीवन को समाज सेवा और अध्यात्म के लिए समर्पित करते हुए, वैष्णो धाम निर्माण का संकल्प** लिया था। वे बताती हैं कि उनका उद्देश्य केवल एक मंदिर बनाना नहीं, बल्कि ऐसा धार्मिक केंद्र स्थापित करना है जहाँ साधक, भक्त और श्रद्धालु आत्मशांति और भक्ति का अनुभव कर सकें।

लेकिन दुख की बात यह है कि कवर्धा जैसे धार्मिक नगर में भूमि के अभाव के कारण मंदिर निर्माण कार्य अब तक प्रारंभ नहीं हो सका है। जबकि देशभर में, विशेषकर वाराणसी जैसे पवित्र स्थलों में, एक के बाद एक मंदिर और आश्रम बन रहे हैं, वहीं कबीरधाम जैसी धर्मभूमि में वैष्णो धाम का न बन पाना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है।

माता भुवनेश्वरी ठाकुर अपनी भावनाएं व्यक्त करते हुए कहती हैं —
> “मैंने अपनी माता के सपनों को पूरा करने का प्रण लिया है। चाहे कितनी भी कठिनाइयाँ आएं, मैं वैष्णो धाम के निर्माण के बिना चैन से नहीं बैठूंगी। यह केवल एक मंदिर नहीं, बल्कि भक्तिभाव और मानवता का प्रतीक होगा।”
प्रदेश भर से श्रद्धालु और समाजसेवी भी माता भुवनेश्वरी ठाकुर के इस संकल्प में सहयोग की इच्छा जता रहे हैं। उनका मानना है कि **छत्तीसगढ़ की इस तपस्विनी माता का जीवन** आने वाली पीढ़ियों को त्याग, सेवा और भक्ति का अमूल्य संदेश देता रहेगा।







